सोशल मीडिया ने जीवन को एक प्रदर्शनी में बदल दिया है। लोग अपनी जिंदगी के सबसे अच्छे पलों को चुनकर उन्हें दुनिया के सामने पेश करते हैं लेकिन याद रखना जरूरी है कि सोशल मीडिया पर दिखाई देने वाला जीवन अक्सर वास्तविकता से बहुत दूर होता है। फिल्टर एडिटिंग और सेल्फी स्टिक्स की मदद से हम अपनी कमियों को छिपाकर एक आदर्श छवि पेश करते हैं जिसके ढेरों नुकसान हैं।
सोशल मीडिया पर परफेक्ट लाइफ का प्रदर्शन अब एक नया चलन (social media addiction) बन गया है। लाखों लाइक्स और करोड़ों व्यूज के साथ दिखाई दे रही शानदार तस्वीरें हमें यह भरोसा दिलाने की कोशिश करती हैं कि जिंदगी एक फिल्मी स्टोरी की तरह है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सचमुच ऐसा है? क्या इन फिल्टर किए हुए चेहरों और व्यवस्थित घरों के पीछे कोई असली इंसान छिपा है? क्या जीवन की असल चुनौतियां और संघर्ष इन सजावटी तस्वीरों में दिखाई देता है? शायद नहीं!
मानसिक और शारीरिक तनाव की वजह
दिखावे के चक्कर में जीना ही न भूल जाएं
सोशल मीडिया पर घरों को साफ-सुथरा दिखाने के चलन ने लोगों को परेशान कर दिया है। लोग अपने घरों को मैगजीन की तस्वीरों जैसा बनाने के लिए बहुत दबाव महसूस करते हैं। इस दबाव के कारण, लोगों को मानसिक और शारीरिक तनाव से जूझना पड़ता है। ऐसे में एक्सपर्ट बताते हैं कि परफेक्ट होने की जगह, जीवन की जरूरी बातों पर ही ध्यान देना चाहिए।
फैशन से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि घर की सफाई से लोग खुद को एक नए तरीके से दिखा सकते हैं, लेकिन असल में देखा जाए तो यह तरीका सही नहीं हैं। सिर्फ चीजें हटाने से समस्या का हल नहीं होता, लोगों को लगता है कि हर चीज परफेक्ट होनी चाहिए, जिससे वे और परेशान हो जाते हैं। अगर फ्रिज की बात करें, तो हर किसी के पास इसकी सजावट के लिए वक्त नहीं होता है। घर को साफ रखना अच्छी बात है, लेकिन इतनी भी नहीं कि हम खुश रहना ही भूल जाएं।
आजकल हम सब दिखावा करना चाहते हैं। हम हर नई चीज को फॉलो करते हैं, बस दूसरों को दिखाने के लिए। लेकिन विशेषज्ञ कहते हैं कि हमें दिखावे की फिक्र छोड़कर अपनी जिंदगी का मजा लेना चाहिए, क्योंकि खुश रहने का राज दिखावे में नहीं, बल्कि अपनी जिंदगी को संतुलित रखने में है।https://www.techritubhardwaj.in/2024/09/muscle-pain-in-rainy-season.html