Milk production: मध्यप्रदेश में दुग्ध उत्पादन को मिलेगा जबरदस्त बढ़ावा, जानिए कैसे

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मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि देश के कुल दुग्ध उत्पादन का करीब 9 से 10 प्रतिशत उत्पादन करते हुए तीसरे स्थान पर है। प्रदेश में किसानों को पशुपालन और दुग्ध उत्पादन के लिए प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाने का प्रयास किया जाएगा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने डेयरी विकास योजना के तहत दुग्ध उत्पादन में वृद्धि लाने और सांची दुग्ध संघ के कार्यों की समीक्षा बैठक की। इस अवसर पर भारत सरकार की पशुपालन एवं डेयरी सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड, आनंद (गुजरात) के अध्यक्ष व प्रबंध संचालक श्री मीनेश शाह भी उपस्थित रहे। बैठक में एमपी के दुग्ध उत्पादन, एकत्रीकरण और सांची दुग्ध संघ की कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा की गई।

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड को मिलेगा प्रबंधन का जिम्मा:
बैठक में यह सहमति बनी कि मध्यप्रदेश राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन और उससे जुड़े दुग्ध संघों का प्रबंधन अगले पांच वर्षों तक राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड द्वारा किया जाएगा। इसके लिए आवश्यक स्वीकृतियां प्राप्त कर विधि सम्मत कार्यवाही की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि प्रदेश को दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बनाकर किसानों और पशुपालकों की आय बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय बोर्ड को यह दायित्व सौंपने पर सहमति बनी है। इसके लिए आवश्यकता पड़ने पर सहकारी अधिनियम में संशोधन भी किया जाएगा।

प्रदेश में दुग्ध उत्पादन के बेहतर आंकड़े Better figures of milk production in the state:
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने बताया कि उत्तर प्रदेश और राजस्थान के बाद मध्यप्रदेश देश में दुग्ध उत्पादन में अग्रणी है। प्रदेश में प्रतिदिन 5.5 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन हो रहा है। प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता के मामले में मध्यप्रदेश का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर है। जहां देश में प्रति व्यक्ति 459 ग्राम दूध उपलब्ध है, वहीं मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 644 ग्राम है। अगले पांच वर्षों में प्रदेश का दुग्ध उत्पादन दोगुना करने का लक्ष्य है, जिसके लिए सहकारी आंदोलन को मजबूत किया जाएगा और किसानों एवं पशुपालकों को अधिक लाभ पहुंचाने के लिए कदम उठाए जाएंगे।

दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के प्रयास Efforts to increase milk production:
मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश के लगभग 40,000 ग्रामों में दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने के प्रयास किए जाएंगे। वर्तमान में 10 से 15 हजार ग्रामों में दुग्ध उत्पादन की स्थिति संतोषजनक है, जबकि शेष ग्रामों में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न उपाय किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और भारत सरकार के पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय को आभार प्रकट किया।

गोबर से ईंधन और ऑर्गेनिक खाद का उत्पादन: बैठक में गोबर से रसोई ईंधन और ऑर्गेनिक खाद प्राप्त करने के प्रयासों पर भी चर्चा की गई। आगर-मालवा में इस दिशा में पहल की गई है। वर्तमान में प्रदेश में 233 बायोगैस संयंत्र स्थापित किए गए हैं। किसानों और पशुपालकों को गोबर के उपयोग से बायोगैस संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिसमें दो से तीन पशु रखने वाले किसान भी हिस्सा ले सकेंगे। इस संयंत्र की स्थापना में लगभग ₹10,000 की लागत आती है।