Delhi-NCR में बढ़ता प्रदूषण, AQI के खतरनाक आंकड़े, 7 राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी

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Delhi-NCR में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है और वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के आंकड़े डरावने होते जा रहे हैं। गुरुवार को चौथे दिन भी दिल्ली और नोएडा में प्रदूषण का स्तर ‘खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। सुबह के समय एनसीआर के कई हिस्सों में धुंध छाई रही। सुबह 6:34 बजे दिल्ली का कुल AQI 207, नोएडा का 213 और गाजियाबाद का 246 दर्ज किया गया। इसके अलावा, सोनीपत में AQI 192 और फरीदाबाद में 182 दर्ज किया गया, जो मध्यम श्रेणी में आता है।

प्रदूषण का बढ़ता स्तर: गंभीर चेतावनी

दिल्ली के वजीरपुर और शालीमार बाग में AQI 321, जहांगीरपुरी में 332, पश्चिम दिल्ली के शादिपुर में 307 और पटपड़गंज में 314 दर्ज किया गया। ये सभी आंकड़े ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आते हैं। दूसरी ओर, नोएडा के सेक्टर-1 और मयूर विहार में AQI 195 और आनंद विहार तथा साहिबाबाद में 294 दर्ज किया गया, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है।

AQI के अनुसार, 0 से 50 तक का स्तर ‘अच्छा’, 51 से 100 तक ‘संतोषजनक’, 101 से 200 तक ‘मध्यम’, 201 से 300 तक ‘खराब’, 301 से 400 तक ‘बहुत खराब’, और 401 से 500 तक ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर AQI 300 के पार जा चुका है, जिससे लोगों की सेहत पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। खासतौर पर बुजुर्ग, बच्चे और हृदय तथा श्वसन संबंधी रोगों से पीड़ित लोगों के लिए यह स्थिति चिंताजनक है।

प्रदूषण के कारण और समाधान

दिल्ली में प्रदूषण बढ़ने के पीछे मुख्य कारणों में से एक पराली जलाना है। अक्टूबर और नवंबर के महीनों में पड़ोसी राज्यों, खासकर पंजाब और हरियाणा में धान की फसल की पराली जलाई जाती है, जिसका धुआं दिल्ली की हवा में मिलकर AQI को खतरनाक स्तर तक पहुंचा देता है। इसके अलावा, वाहनों से निकलने वाला धुआं, निर्माण कार्यों की धूल और औद्योगिक प्रदूषण भी स्थिति को और बिगाड़ देते हैं।

सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे निर्माण स्थलों पर धूल को नियंत्रित करना, जल छिड़काव, सड़कों की सफाई, और वाहन चालन पर प्रतिबंध लगाना। दिल्ली में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया गया है, जिसमें प्रदूषण के स्तर के अनुसार सख्त नियम लागू किए जाते हैं। हालांकि, इसके बावजूद प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है, जो कि मौसम की परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है। ठंड के मौसम में हवा का बहाव धीमा हो जाता है, जिससे प्रदूषक कण हवा में ज्यादा समय तक रहते हैं।

दिल्ली का मौसम: साफ आसमान की उम्मीद

गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर में मौसम विभाग ने आसमान साफ रहने की उम्मीद जताई है। अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 18 डिग्री सेल्सियस के आसपास रहने का अनुमान है। बुधवार को कुछ स्थानों पर बादल छाए रहे, लेकिन बारिश नहीं हुई। ठंड के आगमन के साथ-साथ वायु की गुणवत्ता और खराब होने की संभावना है। इसलिए दिल्लीवासियों को विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता है, खासकर सुबह और शाम के समय, जब धुंध और स्मॉग का खतरा बढ़ जाता है।

7 राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी

दिल्ली-एनसीआर में जहां प्रदूषण चिंता का विषय बना हुआ है, वहीं देश के अन्य हिस्सों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग के अनुसार, पिछले 24 घंटों में तमिलनाडु, पुडुचेरी, तटीय आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, पश्चिम मध्य प्रदेश, दक्षिण गुजरात, कोंकण और रायलसीमा में भारी बारिश दर्ज की गई है। इन क्षेत्रों में गुरुवार को भी भारी बारिश की संभावना है।

तमिलनाडु, पुडुचेरी और कराईकल के अलावा चेन्नई, तिरुवल्लुर, चित्तूर, कडप्पा और नेल्लोर जिलों में भारी बारिश होने की चेतावनी जारी की गई है। तटीय आंध्र प्रदेश और यानम में भी मूसलधार बारिश की संभावना है। दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों में मानसून ने अभी भी अपनी पकड़ बनाए रखी है, जबकि देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून विदा हो चुका है।

बारिश और प्रदूषण का संबंध

दिल्ली-एनसीआर में बारिश के अभाव में प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। बारिश होने पर वायु में मौजूद प्रदूषक कण धरती पर जम जाते हैं, जिससे AQI में सुधार होता है। हालांकि, इस समय दिल्ली-एनसीआर में बारिश की संभावना कम है, जिससे प्रदूषण के स्तर में सुधार की उम्मीद कम ही है। दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत में हो रही भारी बारिश वहां की हवा को साफ रखने में मददगार साबित हो रही है, लेकिन दिल्लीवासियों को फिलहाल इस राहत का इंतजार करना होगा।

स्वास्थ्य पर प्रदूषण का प्रभाव

दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण का सीधा असर लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है। वायु प्रदूषण से श्वसन संबंधी बीमारियां जैसे दमा, ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के रोगों का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, आंखों में जलन, सिरदर्द, थकान और त्वचा संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं। विशेष रूप से बुजुर्ग, बच्चे और गर्भवती महिलाओं को इस समय अतिरिक्त सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

सरकार और नागरिकों को प्रदूषण से निपटने के लिए मिलकर प्रयास करने की आवश्यकता है। वाहनों का कम से कम उपयोग, पेड़-पौधों का संरक्षण, और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को अपनाना कुछ ऐसे कदम हैं, जो प्रदूषण के स्तर को कम कर सकते हैं। इसके साथ ही, प्रदूषण से संबंधित नियमों का सख्ती से पालन और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि लोग अपनी जीवनशैली में बदलाव कर सकें और पर्यावरण की सुरक्षा कर सकें।