हिमाचल हाईकोर्ट ने सुखविंदर सुक्खू की सरकार में नियुक्त किए गए छह मुख्य संसदीय सचिवों को हाईकोर्ट ने पद से हटा दिया है। इस फैसले के बाद वर्तमान सरकार में कार्य कर रहे मुख्य संसदीय सचिवों को अपना पद व सुविधाएं छोड़नी होंगी। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कोर्ट ने इनकी नियुक्तियों को असंवैधानिक बताया है। कोर्ट ने साल 2006 के CPS एक्ट को निरस्त कर दिया है।
कोर्ट ने माना है कि 2006 का अधिनियम असंवैधानिक था। हाईकोर्ट ने सीपीएस सुविधाओं को तुरंत वापस लेने का भी आदेश दिया है। अगर दूसरा पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला करता है, तो उन्हें वहां भी कोई राहत नहीं मिलेगी, अधिनियम निरस्त कर दिया गया है।
जयराम ठाकुर ने दी प्रतिक्रिया
सीपीएस के फैसले पर नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर की प्रतिक्रिया भी सामने आई है। भारतीय जनता पार्टी पहले दिन से ही सीपीएस बनाने के फैसले के खिलाफ थी क्योंकि यह असंवैधानिक था और यह संविधान के विरुद्ध निर्णय था।
उन्होंने कहा कि जब 2017 में हम सरकार में थे तो हमारे समय भी यह प्रश्न आया था। तो हमने इसे पूर्णतया असंवैधानिक बताते हुए सीपीएस की नियुक्ति नहीं की थी। आज हाईकोर्ट द्वारा फिर से सरकार के तानाशाही पूर्ण और असंवैधानिक फैसले को खारिज कर दिया। हम मांग करते हैं कि इस पद का लाभ लेने वाले सभी विधायकों की सदस्यता भी समाप्त हो।